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सियार की चतुराई

चतुर सियार की कहानी
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चतुर सियार की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बहुत ही चतुर सियार रहता था। उसका नाम चित्रकेतु था। चित्रकेतु बहुत ही बुद्धिमान और आलसी सियार था। वह अकेला जंगल में अपने आप को दिन भर सोने की आदत डाल चुका था। 

एक दिन, जंगल में एक बड़ा समस्या आई। एक डरावने शेर ने जंगल में आक्रमण किया और अन्य जानवरों को परेशान करने लगा। सभी जानवर बहुत ही डर गए और उन्होंने चित्रकेतु से मदद मांगी। 

चित्रकेतु ने सोचा कि यह एक अच्छा मौका है अपनी बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करने का। वह शेर के पास गया और उससे मिलकर एक समझौता करने की प्रस्तावना की। 

चित्रकेतु ने कहा, "आप जंगल का बादशाह हैं और हम सभी आपकी सेवा में तैयार हैं। हम आपके लिए जंगल के अन्य जानवरों को बंदर और हिरण के साथ खाने के लिए लाएंगे, लेकिन हमें आपके साथ एक शर्त पर माफी मांगनी होगी।"

शेर ने यह सुनकर खुशी-खुशी सहमति दी, क्योंकि उसके लिए यह सौभाग्य था कि वह अपने खाने का सुन्दर सा जलसा प्राप्त करेगा। 

इसके बाद, चित्रकेतु ने एक महीना तक जंगल के अन्य जानवरों को एक साथ मिलकर काम किया और एक बड़ा जलसा तैयार किया। शेर ने खुशी-खुशी खाना खाया और बहुत खुश हुआ। 

इसके बाद, चित्रकेतु ने अपनी चालाकी से शेर से माफी मांगी और शेर ने माफी कबूल की। चित्रकेतु ने उसे यह सिखाया कि अहंकार और अबला को जीतने की कोई जरूरत नहीं होती, बल्कि बुद्धिमत्ता और समझदारी से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। 

इसके बाद, जंगल में सबके बीच चित्रकेतु को बड़ा सम्मान मिला और वह जंगल का सर्वश्रेष्ठ सियार बन गए। 

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बुद्धिमत्ता और चालाकी से हम हर समस्या का समाधान निकाल सकते हैं और अपने आहंकार को दूर रखकर हमें दूसरों की मदद करने में सफलता मिलती है।

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